भोजन के सम्बन्ध में २४ उपयोगी सूत्र


भोजन के सम्बन्ध में २४ उपयोगी सूत्र१. आमाशय
के तीन भाग १/३ ठोस, १/३ अर्धतरल, १/३
खाली।
२. नियत समय नियत मात्रा।
३. ईश्वर ध्यान के बाद भोजन ग्रहण करना तथा भोजन के
समय प्रसन्नचित्त रहना।
४. भोजन की मात्रा अपनी शक्ति के
अनुकूल ही लेनी चाहिए।
५. जिस भोजन को देखने से घृणा/अरूचि हो ऐसा भोजन
नहीं खाना चाहिए।
६. बासी भोजन से आलस्य और स्मरण शक्ति में
कमी होती है।
७. शरीर ताप से थोड़ा अधिक गर्म भोजन
लाभकारी है, जल्दी पचता है वायु
निकालता है जठराग्नि प्रदीप्त करता है। कफ
शुद्ध करता है।
८. जली हुई रोटी सार हीन
होती है। कच्ची रोटी पेट
में दर्द अजीर्ण उत्पन्न करती है।
९. भिन्न मौसम या समय पर भोजन में परिवर्तन
भी आवश्यक है।
१०. अधिक गर्म या अधिक ठण्डा भोजन दांतों के लिए हानिकारक
होता है।
११. भोजन में कुछ चिकनाहट भी आवश्यक है।
१२. भोजन में अन्तर छः घन्टे का। तीन से कम
नहीं होना चाहिए।
१३. ३० मिनट से कम समय में भोजन
नहीं करना चाहिए।
१४. क्षार और विटामिन युक्त आहार लें। अर्थात
तरकारी और फल की मात्रा गेहूँ, चावल,
आल,दाल से तीन
गुनी होनी चाहिए।
१५. घी तेल की तली हुई
चीजें कम खानी चाहिए। कटहल,
घुइयाँ,
उड़द की दाल
जैसी भारी चीजें कम
ही खानी चाहिए।
१६. भोजन करते समय हँसना और बोलना ठीक
नहीं रहता, इससे श्वांस नली में
रुकावट हो सकती है।
१७. प्रातः चाय काफी के बजाय नींबू
पानी लेना चाहिए ।।
१८. थोड़ी भूख रहे तभी भोजन से
हाथ खींच लेना चाहिए।
१९. दोपहर का भोजन करने के पश्चात दस बीस
मिनट लेटकर विश्राम करना चाहिए। पर
सोना नहीं चाहिए अन्यथा हानि होगी।
शाम को भोजन के बाद कम से कम १.५ कि.मी.
टहलना चाहिए।
२०. शाम का भोजन सोने से तीन या कम से कम
दो घंटे पहले कर लेना चाहिए। खाते ही सो जाने से
पचने में गड़बड़ी होती है और
नींद भी सुखमय
नहीं होती।
२१. भोजन में एक साथ बहुत सी चीजें
होना हानिकारक है। इससे अधिक
भोजन की सम्भावना बन जाती है।
२२. रसेदार शाक या दाल भोजन में ठीक रहता है।
सूखे भोजन से कलेजे में जलन और रक्त मिश्रण में
बाधा पहुँचती है।
२३. अधिक चिकनाई भी हानिकारक है। केवल विशेष
श्रमशील व्यायाम वालों के लिए
ही ठीक है।
२४. खाने को आधा, पानी को दूना, कसरत
को तीन गुणा और हंसने को चौगुना करो। केवल पचने
पर ही पोषण मिलता है।

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