कमजोरी (DEBILITY)

परिचय :
शरीर में पोषक
तत्वों की कमी के कारण
कमजोरी हो जाती है, या व्यक्ति के
किसी रोग से परेशान होने के साथ-साथ मानसिक और
शारीरिक
शक्ति की कमी हो जाने
को कमजोरी कहते हैं। इस रोग से
दिमागी शक्ति कमजोर हो जाती है।
कारण :
शरीर में कमजोरी के कारण,
उल्टी , दस्त, नींद, लंघन, शोक, अति
मैथुन , मल-मूत्रादि के वेग का रोकना, अल्प भोजन, चिन्ता और भय
आदि होते हैं।
लक्षण :
शारीरिक शक्तिहीनता में
शरीर अधिक पतला और कमजोर हो जाता है।
ज्यादा कमजोर व्यक्तियों को शक्तिहीनता के
अलावा अनेक प्रकार के रोग भी हो जाते हैं।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. मेथी : लगभग 5-10 ग्राम मेथी के
बीजों को सुबह-शाम गुड़ में मिलाकर सेवन करने से
कमजोरी मिट जाती है।
2. छाछ : छाछ पीने से स्रोतों,
मार्गों की शुद्धि होकर रस का भलीप्रकार
संचार होने लगता है तथा आंतों से संबन्धित कोई रोग
नहीं होता है। नियमित रूप से छाछ पीने
से शरीर की पुष्टि, बल, प्रसन्नता और
चेहरे की चमक बढ़ती है।
पिसी हुई अजवायन, कालानमक और छाछ
तीनों को मिलाकर भोजन के अन्त में नित्य कुछ
दिनों तक पीने से लाभ होता है। छाछ में
कालीमिर्च और नमक मिलाकर
भी पी सकते हैं।
3. अंजीर :
पके अंजीर को बराबर की मात्रा में सौंफ के
साथ चबा-चबाकर किया गया नियमित सेवन 40 दिनों में
सारी शारीरिक दुर्बलता दूर कर देता है।
अच्छे पके हुए दो वजनदार अंजीर
(अच्छा अंजीर वजन में लगभग 70 ग्राम
का होता है।) मिश्री के साथ सुबह के समय
खाना चाहिए इससे कमजोरी और गर्मी से
राहत मिलती है।
अंजीर को दूध में उबालकर-उबाला हुआ
अंजीर खाकर वही दूध पीने
से शक्ति में वृद्धि होती है तथा खून
भी बढ़ता है।
4. टमाटर : टमाटर का सूप भूख को बढ़ाता है। यह खून
की कमी को दूर करता है। थकावट व
कमजोरी दूर करता है और चेहरे पर रौनक लाता है।
5. दूध : स्त्री-प्रसंग करने के बाद एक गिलास दूध
में पांच बादाम पीसकर मिलाएं और एक चम्मच
देशी घी डालें और पी जाएं।
इस प्रयोग से बल मिलता है। नामर्दी दूर करने के लिए
सर्दियों के मौसम में आधा ग्राम केसर डालकर
पीना चाहिए।
6. फिटकरी : एक किलो फिटकरी अपने
शयनकक्ष में रखें। इससे मानसिक तनाव दूर होता है
तथा दुर्बलता (कमजोरी) दूर होती है।
7. काजू : पैरों पर काजू के दूध का लेप करने से
पैरों की कमजोरी ठीक
होती है।
8. कॉफी : कॉफी पीने से
मानसिक एवं शारीरिक थकान एवं भोजन के बाद पेट में
होने वाली गड़बड़ियां दूर हो जाती हैं।
भोजन के बाद कॉफी पी लेने से पित्त
प्रसन्न और हल्कापन महसूस होता है,
मानों की कुछ
खाया ही नहीं है।
9. गम्भारी : सामान्य दुर्बलता (कमजोरी),
शुक्र दुर्बलता में गंभारी के फल का चूर्ण और
मिश्री को एक साथ मिलाकर सुबह-शाम 1-1 चम्मच
गाय के दूध के साथ सेवन करें तथा बुखार के बाद
की दुर्बलता में इसकी छाल का 50-100
मिलीलीटर क्वाथ (काढ़)
पिलाना लाभकारी होता है।
10. अपामार्ग : अपामार्ग के बीजों को भूनकर इसमें
बराबर की मात्रा में मिश्री मिलाकर
पीस लें। एक कप दूध के साथ दो चम्मच
की मात्रा में सुबह-शाम नियमित सेवन करने से
शरीर में पुष्टता आती है।
11. लाल चीता (लाल चित्रक ) : लगभग 1-2 ग्राम
लाल चीता शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से
शरीर की कमजोरी मिट
जाती है और शरीर
को नयी स्फूर्ति मिलती है।
12. बांस : दालचीनी, इलायची,
छोटी पीपल, वंशलोचन और
मिश्री, इन सब चीजों को क्रमानुसार एक
दूसरे से दुगुने मात्रा में लेकर सभी को पीस
लें। इसे सितोपलादि चूर्ण कहा जाता है। यह चूर्ण
टी.बी., बुखार और खांसी के
लिए यह बहुत ही अच्छी औषधि है।
13. बबूल : बबूल के गोंद को घी के साथ तलकर
उसमें दुगुनी चीनी मिला दें। इसे
प्रतिदिन 20 ग्राम लेने से शक्ति में वृद्धि होती है।
14. इलायची : इलायची के दाने, बांस, कपूर
और बादाम प्रत्येक 50-50 ग्राम भिगोकर छान लें। इन्हें 50
ग्राम पिस्तों के साथ पत्थर पर बारीक
पीसकर 2 लीटर दूध में पकाएं। हलुआ
जैसा होने पर उसमें 20 ग्राम चांदी का वर्क मिलाएं।
इसमें से प्रतिदिन 10-20 ग्राम सेवन करने से
आंखों की रोशनी एवं शारीरिक
शक्ति बढ़ती है।
14. उशवा : 10-20 ग्राम जंगली उशवा के
बारीक चूर्ण का काढ़ा बनाकर रोजाना एक मात्रा में सेवन
करने से पूर्ण पौष्टिक का कार्य करता है। इससे
व्याक्ति की मानसिक और शारीरिक
दुर्बलता मिट जाती है।
15. पोस्ता : पोस्तादाना पीसकर शहद या शर्करा के
शर्बत के साथ रोजाना सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
16. ढाक : ढाक के बीजों का चूर्ण 20 ग्राम, काले तिल
60 ग्राम और मिश्री 120 ग्राम मिलाकर
पीस लें। फिर एक चम्मच सुबह-शाम एक कप दूध
के साथ सेवन करने से शारीरिक दुर्बलता दूर
हो जाती है।
17. नमक : 1 भाग नमक में 30 भाग
ठंड़ा पानी मिलाकर घोल तैयार करें। इसको मांसपेशियों में
मालिश करने से मांसपेशियों की कमजोरी मिट
जाती है।
18. ताकस्तूरी : लगभग 100 ग्राम
लताकस्तूरी, 600 मिलीलीटर
शराब में मिलाकर टिंचर तैयार कर रख लें। इस टिंचर को 1-2 ग्राम
की मात्रा में सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है। इससे शरीर के एक-एक अंग
और अवयव में उत्तेजना पैदा होती है।
19. गुग्गुल : लगभग आधा से एक ग्राम गुग्गल सुबह-शाम
शहद या घी के साथ सेवन करने से
कमजोरी मिट जाती है।
20. गिलोय : 100 मिलीलीटर गिलोय का रस
(कल्क), 100 ग्राम अनन्तमूल का चूर्ण, दोनों को एक साथ 1
लीटर उबलते पानी में मिलाकर
किसी बन्द पत्ते में रखकर 2 घंटे के बाद मसल-
छानकर रख लें। इसे 50-100 मिलीलीटर
रोजाना 2-3 बार सेवन करने से बुखार से आई
कमजोरी मिट जाती है।
21. पारल (पाढ़ल) : पाढ़ल के फूलों के गुलकन्द के सेवन से
कमजोरी मिट जाती है।
22. फालसा : पके हुए फालसे खाने से धातु
की दुर्बलता दूर होती है।
23. नीम :
नीम की छाल का काढ़ा बनाकर
पीने से बुखार के बाद आई
कमजोरी मिटती है।
नीम के फूलों का चूर्ण सुबह-शाम सेवन करने से
कमजोरी में लाभ मिलता है। इससे
पाचनशक्ति की खराबी भी सही होती है।
24. गुलशकरी (इसे जोबन मेथी के नाम से
भी जाना जाता है) : 6 ग्राम
गुलशकरी की जड़ को 10 ग्राम
मिश्री मिले दूध के साथ पीने से
कमजोरी मिट जाती है।
25. वाराहीकन्द (भंवर के बेल) : लगभग 3-6 ग्राम
वाराहीकन्द के कन्द को जीरा और
शर्करा के साथ सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
26. विदारीकन्द : लगभग 3-6 ग्राम
विदारीकन्द सुबह-शाम मिश्री मिले दूध के
साथ सेवन करने से कमजोरी में लाभ होता है।
27. काली मूसली : 3-6 ग्राम
काली मूसली सुबह-शाम
मिश्री मिले दूध के साथ सेवन करने से
कमजोरी और नपुंसकता मिट जाती है।
28. सफेद मूसली : 10 ग्राम सफेद
मूसली के चूर्ण में
चीनी मिलाकर दूध के साथ सुबह-शाम
सेवन से नपुंसकता, दुर्बलता और शुक्रमेह
आदि बीमारी से लाभ होता है।
29. विधारा : डेढ़ से 3 ग्राम विधारा का मूल चूर्ण
मिश्री मिले दूध के साथ रोजाना सुबह-शाम सेवन करने
से शरीर की कमजोरी मिट
जाती है। बंगाल में इसका खूब सेवन किया जाता है।
30. गोरखमुण्डी (मुण्डी ) : 10-20
मिलीलीटर गोरखमुण्डी के
पंचाग का रस सुबह-शाम देने से कमजोरी मिट
जाती है।
41. अन्नतमूल : अनन्तमूल के घोल को वायविडंग के साथ
20-30 ग्राम सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
42. ममीरा : लगभग आधा ग्राम
ममीरा सुबह-शाम शहद या दूध के साथ सेवन करने
से किसी बीमारी के कारण आई
कमजोरी मिट जाती है। इससे पाचन
संस्थान और मूत्र संस्थान की परेशानी से
भी आराम मिलता है।
43. शंखपुष्पी : लगभग 10-20
मिलीलीटर शंखपुष्पी का रस
सुबह-शाम सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
44. गुलकन्द (गुलाब की पंखुड़ियों से बना) : लगभग
10-20 ग्राम गुलकन्द सुबह-शाम सेवन करने से शौंच साफ
आता है, भूख बढ़ती है, शरीर मजबूत
हो जाता है। इसके न मिलने पर इसके चूर्ण
का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसे 1-3 ग्राम
की मात्रा में लें।
45. मखाना : मखाने की खीर नियमित सेवन
करने से शारीरिक शक्ति और काम शक्ति दोनों में लाभ
मिलता है।
46. मुनक्का : मुनक्के का सेवन करने से
कमजोरी मिट जाती है। इससे मल-मूत्र
भी साफ हो जाता है।
47. पोदीना : पुदीने में विटामिन-ई
पाया जाता है जो शरीर
की शिथिलता (कमजोरी) और
वृद्धावस्था (बुढ़ापे) को आने से रोकता है। इसके सेवन करने से
नसे भी मजबूत होती हैं।
48. पीपल : पीपल के
पत्तों का मुरब्बा खाने से शरीर
की कमजोरी (दुर्बलता) दूर
होती है।
49. खजूर :
देशी खजूर खाने से शरीर
की कमजोरी मिट जाती है।
खजूर के बीजों को निकालकर उस जगह मक्खन
भरकर सेवन करने से कमजोरी दूर
हो जाती है।
खजूर चूर्ण और असगंध लगभग 5-5 ग्राम लेकर दूध के साथ
सेवन करने से कमजोरी कम होती है।
नियमित रूप से 10 से 15 खजूर खाकर ऊपर से 1 कप दूध
पीने से कुछ दिनों में ही शरीर
में स्फूर्ति पैदा होती है। बल बढ़ता है, नया खून
पैदा होता है और वीर्य बढ़ने लगता है।
भैंस के घी में खजूर के बीज को 5 मिनट
तक सेंककर दोपहर को चावल के साथ खायें। इसको खाने से
पहले 1 घण्टा सो लें। इससे कमजोर व्यक्ति के वजन में
बढ़ोत्तरी होती है।
50. सेब :
सेब के नियमित सेवन करने से हृदय, मस्तिष्क और आमाशय
को समान रूप से शक्ति मिलती है। इससे
कमजोरी मिट जाती है।
सुबह 2-3 सेब खाकर ऊपर से गर्म मीठा दूध
पीने से कमजोरी दूर
हो जाती है।
51. अखरोट : अखरोट की गिरी के सेवन
से कमजोरी मिट जाती है।
52. मुईछत्ता (गोबर छत्ता) : मुईछत्ता, दूध और शर्करा के साथ
उबालकर सेवन करने से कमजोरी में लाभ होता है।
यह सेक्सशक्तिवर्धक भी है।
53. ऊंटकटारा : 5-10 ग्राम ऊंटकटारा की जड़ (मूल)
का रस सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से
कमजोरी मिट जाती है। इससे
शरीर मजबूत बनता है।
54. बागी सलाद : बागी सलाद के
पत्तों का सलाद के रूप में सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है। इसमें विटामिन्स और खनिज
भी पाया जाता है।
55. खाकसीर (खूब कला) : खाकसीर एक
पौष्टिक द्रव है। इसे 1-2 ग्राम नियमित 2 बार दूध के साथ सेवन
करने से कमजोरी मिट जाती है।
खूबकलां के बीजों के सेवन से भी लाभ
होता है।
56. तोदरी : लगभग 5-10 ग्राम तोदरी के
बीजों का चूर्ण सुबह-शाम पानी में कुछ
देर भिगो दें। इसके बाद इसके लुआबदार घोल में
मिश्री मिलाकर शर्बत की तरह सेवन
करना शरीर के लिए अच्छा पौष्टिक प्रमाणित होता है।
इससे कमजोरी दूर हो जाती है।
57. ब्रह्मदण्डी : लगभग 10-20
मिलीलीटर ब्राहदण्डी का रस,
मज्जा तंतु की दुर्बलता में सुबह-शाम सेवन करने से
सही लाभ होता है।
58. बाबूना : लगभग 3-4 ग्राम बबूना के फूलों (पुष्पों) का सेवन
ज्यादा कमजोरी न होने पर करने से
कमजोरी दूर हो जाती है और
शरीर में उत्तेजना पैदा होती है।
59. बिहीदाना : बिहीदाना के
बीजों को गर्म पानी में डालने से बना लुआब
(लसदार घोल) 20-40 मिलीलीटर सुबह-
शाम सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
60. सालाब : लगभग 3-6 ग्राम सालाब के कन्द का चूर्ण सुबह-
शाम सेवन करने से कमजोरी मिट
जाती है।
61. बहेड़ा : लगभग 3-9 ग्राम बहेड़ा का चूर्ण सुबह-शाम
शहद के साथ सेवन करने से कमजोरी दूर
होती है और मानसिक शक्ति बढ़ती है।
62. मालकांगनी (जोतिष्मती) :
मालकांगनी के बीजों को दबाकर
निकाला हुआ तेल, 2-10 बूंद को मक्खन या दूध में मिलाकर
सुबह-शाम सेवन करने से दिमाग
की वृद्धि होती है और
कमजोरी
63. मालकांगनी : मालकांगनी के
बीजों को गाय के घी में भूनकर बराबर
मात्रा में मिश्री मिलाकर सुबह-शाम एक कप दूध के
साथ सेवन करने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।
64. जायफल : जायफल और जावित्री 10-10 ग्राम
और अश्वगन्धा 50 ग्राम मिलाकर पीस लें। एक-एक
चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ नियमित लें।
65. मुलेठी : एक चम्मच
मुलेठी का चूर्ण आधा चम्मच शहद और एक
चम्मच घी मिलाकर एक कप दूध के साथ सुबह-शाम
रोजाना 5-6 हफ्ते तक सेवन करने से बल बढ़ता है।
66. चीनी : दो चम्मच
चीनी और दो चम्मच घी में
10 पिसी हुई कालीमिर्च मिलाकर प्रतिदिन
खाली पेट चांटे। इससे मस्तिष्क में तरावट
आती है तथा कमजोरी का सिरदर्द दूर
हो जाता है।
67. भिलावा : लगभग 1-2 बूंद भिलावे के तेल को तिल के तेल में
मिलाकर दूध के साथ रोजाना सेवन करने से कमजोरी दूर
हो जाती है।
68. केवांच : लगभग 40 मिलीलीटर केवांच
की जड़ का काढ़ा (क्वाथ) सुबह-शाम सेवन करने से
स्नायु की कमजोरी मिट
जाती है। इसकी जड़ का रस अगर
10-20 मिलीलीटर सुबह-शाम लिया जाए
तो भी लाभ होता है।
69. ब्राह्मी (जलनीम) : लगभग 5-10
मिलीलीटर ब्राह्मी के
पत्तों का रस सुबह-शाम सेवन करने से स्नायुविक
कमजोरी और मानसिक कमजोरी मिट
जाती है।
70. अड़हुल (गुड़हल) : लगभग 5-10 अड़हुल
की कलियों को पीसकर घोटकर मिला लें और
इसका सुबह-शाम सेवन करने से दिमाग
की कमजोरी, नींद न
आना और पागलपन जैसे कमजोरी से उत्पन्न रोगों में
लाभ होता है।
71. उस्तखुदूस : 40-80 ग्राम उस्तखुदूस का पंचाग
या काढ़ा 20-40 मिलीलीटर सुबह-शाम
सेवन करने से स्नायु की कमजोरी से
आराम मिलता है। इससे दिमाग
की शक्ति भी तेज होती है।
72. रेशम : लगभग 2-3 ग्राम रेशम के कोया (कोश) का चूर्ण
का रोजाना सेवन करने से हृदय, दिमाग और फेफडे़
की कमजोरी में लाभ होता है।
73. गन्ना : गन्ना भोजन पचाता है और भरपूर
शक्ति भी प्रदान करता है। यह शरीर
को मोटा करता है तथा पेट
की गर्मी तथा सीने
की जलन को दूर करती है।
74. पान : पान के शर्बत में
तीखी चीजें या गर्म बेसबार
मिलाकर 25-25 ग्राम दिन में 3 बार पिलाने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।
75. सफेद पेठा : सफेद पेठे के बीज के
बीच के हिस्से को पीसकर निकले आटे
को घी में सेंककर उसमें शर्करा मिलाकर लड्डू बनाकर
रोजाना सुबह के समय कुछ दिनों तक खाने से ज्यादा मेहनत करने
से आई हुई शरीर
की कमजोरी दूर हो जाती है।
75. अलसी : एक गिलास दूध के साथ सुबह-शाम
एक-एक चम्मच अलसी का बीज निगलते
रहने से शारीरिक दुर्बलता दूर होकर
पुष्टता आती है।
76. केला : खाना खाने के बाद लगातार तीन
महीने तक केले खाने से कमजोर
आदमी भी बलवान बन जाता है।
77. निर्गुण्डी : निर्गुण्डी के तेल
की मालिश करने से
पैरों की बीमारी और
कमजोरी दूर होती है।
78. कालीमिर्च :
कालीमिर्च का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम
सेवन करने से स्नायु में लाभ होता है।
बच्चों को कालीमिर्च का चूर्ण
घी या चीनी के साथ रोज
सुबह-शाम चटाने से उनकी भूख
बढ़ती है और निर्बलता दूर होती है और
बच्चा बलवान भी बनता है।
30 ग्राम कालीमिर्च, 30 ग्राम सोंठ, 100 ग्राम
छोटी पीपल, 170 ग्राम छिला हुआ तिल,
170 ग्राम अखरोट की मींगी,
इन सबको पीसकर छानकर रख लें, फिर इसे 2
किलो चीनी की चाशनी में
पका लें। चाशनी ठंड़ा होने पर, उसमें 250 ग्राम
शहद मिलाकर रख दें। इसमें से 4 ग्राम दवा रोजाना सेवन करने से
शरीर मजबूत हो जाता है।
79. बादाम :
पीले बादाम की गिरी, निशास्ता,
कतीरा और चीनी इन्हें बराबर
मात्रा में मिलाकर रख लें और इसे रोजाना 10 ग्राम दूध के साथ सेवन
करने से शरीर
की कमजोरी मिट जाती है।
बादाम की गिरियां रात को पानी में भिगो दें। उसे
सुबह छीलकर मक्खन के साथ चबा-चबाकर खाने से
कमजोरी दूर हो जाती है।
4 पीस बादाम, 2 पीस छुहारा, 8
पीस मुनक्का शाम को पानी में भिगो दें।
सुबह छुहारे की गुठली और बादाम
का छिलका और मुनक्के के बीज अलग कर दें और
शेष महीन पीसकर, इसमें शुद्ध
घी मिलाकर रोजाना सेवन करने से
कमजोरी मिट जाती है।
80. गाजर :
गाजर के रस का सेवन करते रहने से मोटापा बढ़ता है।
गाजर के हलवा के सेवन से कमजोरी में लाभ
होता है। इसके सेवन से गुर्दे
की कमजोरी भी दूर
हो जाती है।
81. असगंध (अश्वगंधा) :
असंगध और सफेद मूसली को पीसकर
बराबर मात्रा में बनाया गया चूर्ण 1 चम्मच भर, रोजाना दूध के साथ
सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
छोटा चम्मच असंगध का चूर्ण शहद में मिलाकर सुबह-शाम खाने
और ऊपर से गिलास भर दूध पीने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है।
अश्वगंधा के एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करने से
शरीर रोग रहित हो जाता है। केवल सर्दियों में
ही इसके सेवन से दुर्बल
व्यक्ति भी बलवान होता है। इससे वृद्धावस्था दूर
होकर नवयौवन प्राप्त होता है।
अश्वगंधा का चूर्ण, तिल व घी 10-10 ग्राम लेकर
और तीन ग्राम शहद मिलाकर नित्य
सर्दी में सेवन करने से दुर्बल शरीर
वाला बालक मोटा हो जाता है।
अश्वगंधा का चूर्ण 6 ग्राम, इसमें बराबर
की मिश्री और बराबर शहद मिलाकर इसमें
10 ग्राम गाय का घी मिलायें, इस मिश्रण को सुबह-
शाम शीतकाल में चार महीने तक सेवन
करने से बूढ़ा व्यक्ति भी युवक की तरह
प्रसन्न रहता है।
अश्वगंधा की जड़ के महीन चूर्ण
को तीन ग्राम की मात्रा में गर्म
तासीर वाली गाय के ताजे दूध से वात
प्रकृति वाला शुद्ध तिल से और कफ प्रकृति का व्यक्ति गरम
पानी के साथ एक वर्ष तक सेवन करे तो निर्बलता दूर
होकर सभी रोगों का नाश होता है और निर्बल
व्यक्ति बल प्राप्त करता है।
अश्वगंधा चूर्ण 20 ग्राम, तिल इससे दुगने, और उड़द आठ गुने
अर्थात 140 ग्राम, इन तीनों को महीन
पीसकर इसके बड़े बनाकर ताजे-ताजे एक ग्राम तक
खायें। इससे कमजोरी मिट जाती है।
अश्वगंधा चूर्ण और चिरायता बराबर-बराबर लेकर खरल (कूटकर)
कर रखें। इस चूर्ण को 10-10 ग्राम की मात्रा में
सुबह-शाम दूध के साथ खायें।
एक ग्राम अश्वगंधा के चूर्ण में मिश्री डालकर उबाले
हुए दूध के साथ सेवन करने से वीर्य पुष्ट होता है
और बल बढ़ता है।
82. महुआ : लगभग 50 ग्राम महुए के फूलों को एक गिलास
दूध में उबालकर खाएं और ऊपर से वही दूध
रोजाना सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर
होकर बल बढ़ेगा।
83. बिनौला : बिनौले को कूटकर, दूध में उबालकर रोजाना रात को सोने
से पहले सेवन करते रहने से शरीर
की कमजोरी दूर हो जाती है।
84. अतीस : तीन ग्राम
अतीस के चूर्ण को लौह भस्म एक चौथाई ग्राम और
शुंठी चूर्ण आधा ग्राम के साथ देने से बुखार के बाद
की निर्बलता मिटती है।
85. तुलसी : शौच आदि से निवृत्त होकर सुबह के
समय तुलसी के 5 पत्ते पानी के साथ
निगल जाने से बल, तेज और स्मरणशक्ति बढ़ती है।
तुलसी के पत्तों का रस 8 बूंद पानी में
मिलाकर प्रतिदिन पीने से मांसपेशियां और
हडडियां मजबूत होती हैं। तुलसी के
बीज दूध में उबालकर शक्कर मिलाकर
पीना भी शक्तिशाली होता है।
86. एरण्ड : एरण्ड के बीज और तिल का तेल
दोनों को समभाग लेकर पकाकर प्रतिदिन मूत्रेन्द्रिय पर मालिश करने
से मूत्रेन्द्रिय
की कमजोरी मिटती है।
87. हरी मेथी : गर्भपात के बाद
स्त्रियों के शरीर में हुई कमजोरी व खून
की कमी को दूर करने के लिए
मेथी का रोजाना सेवन करें।
88. धनिया : 125 ग्राम धनिया कूटकर 500
मिलीलीटर पानी में उबालें। जब
यह चौथाई रह जाए तो छानकर 125 ग्राम
मिश्री मिलाकर फिर गर्म करें। जब यह गाढ़ा हो जाए
तो इसे उतार लेते हैं। इसे प्रतिदिन सेवन करने से मस्तिष्क
की कमजोरी से आने वाला आंखों के सामने
अंधेरा और जुकाम आदि सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
89. बेल :
बेल की गिरी के चूर्ण
को मिश्री मिले हुए दूध के साथ सेवन करने से खून
की कमी, शारीरिक
दुर्बलता तथा वीर्य
की कमजोरी दूर होती है।
धातु की कमजोरी में 3 ग्राम बेल के
पत्तों के चूर्ण में थोड़ा शहद मिलाकर सुबह-शाम रोजाना चटायें,
इससे आराम मिलता है।
बेल के पत्तों के रस में या पत्तों की चाय में
जीरा चूर्ण और दूध मिलाकर पीयें। मात्रा :
बेल के पत्तों का रस 20-50 मिलीलीटर,
जीरा चूर्ण 6 ग्राम, मिश्री 20 ग्राम और
दूध।
बेल की गिरी, असगंध और
मिश्री को बराबर मात्रा में चूर्ण कर उसमें चौथाई उत्तम
केशर का चूर्ण मिलाकर, 4 ग्राम तक सुबह-शाम खाकर ऊपर से
गर्म दूध पी लें, इससे लाभ मिलता है।
सुखाये हुए पके फलों के गूदे के बारीक चूर्ण
का थोड़ी मात्रा में रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से
कमजोरी दूर होती है और आराम
मिलता है।
90. आम :
अच्छे पके हुए मीठे
देशी आमों का ताजा रस 250 से 350
मिलीलीटर तक, गाय का ताजा दुहा हुआ
गर्म दूध 50 मिलीलीटर, अदरक का रस
एक चम्मच तीनों को कांसे
की थाली में अच्छी तरह फेट
लें, लस्सी जैसा हो जाने पर धीरे-
धीरे पी लें, दो-तीन सप्ताह
सेवन करने से मस्तिष्क की दुर्बलता, सिर दर्द, सिर
का भारीपन और आंखों के आगे
अंधरा हो जाना आदि दूर होता है। गुर्दे के लिए
भी यह विशेष लाभदायक है।
दूध में आम का रस मिलाकर पीने से शरीर
की कमजोरी दूर होती है
और वीर्य बनता है।
नियमित सुबह मीठे आम चूसकर, ऊपर से सौंठ व
छुहारे डालकर पकाये हुए दूध को पीने से पुरुषार्थ
वृद्धि और शरीर पुष्ट होता है।
91. छुहारा :
बिना बीज वाले छुहारे को कूटकर इसके साथ पिस्ता,
बादाम, चिरौंजी और मिश्री मिलाकर, इसमें
शुद्ध घी मिलाकर रख दें। 1 सप्ताह बाद 20-20
ग्राम तक की मात्रा से इसे सेवन करें। इससे
कमजोरी दूर हो जायेगी।
छुहारा शरीर को मजबूत व
शक्तिशाली बनाता है। दूध को गर्म करते समय
यदि उसमें छुहारा या खजूर डाल दिया जाए और फिर उस दूध को पियें
तो वह शरीर को बहुत
ही शक्तिशाली बनाता है।
2-3 छुहारे को स्टील
या चीनी मिट्टी के बर्तन में
रातभर पानी में भिगोए रखने के बाद सुबह
गुठली अलग कर दें और छुहारे को दूध में पकाकर
सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है।
250 ग्राम गुठलीरहित छुहारे, 250 ग्राम भुने चने,
250 ग्राम गेहूं का आटा, 60 ग्राम चिलगोजा, 60 ग्राम बादाम
गिरी, 500 ग्राम गाय का घी, 500 ग्राम
शक्कर और 2 लीटर गाय का दूध। दूध में छुहारों के
कोमल होने तक उबालें, फिर निकालकर महीन
पीस लें और फिर उसी दूध में
धीमी आंच पर खोवा बन जाने तक पकाएं,
जब तक खोवा न बन जाए। अब घी में आंच पर गर्म
करके गेहूं का आटा डालकर गुलाबी होने तक
धीमी आंच में सेंक लें, फिर उसमें चने
का चूर्ण और खोवा डालकर फिर
गुलाबी धीमी आंच पर
गुलाबी होने तक भूने। जब सुगंध आने लगे, तब इसमें
शक्कर डालकर खूब अच्छी तरह मिलाएं।
हलवा तैयार हो गया। इसमें और
सारी चीजों को डालकर रखें। इसे 50-60
ग्राम की मात्रा में गाय के गर्म दूध के साथ रोजाना 1
बार सेवन करें। इससे कमजोरी मिट
जाती है।
छुहारा रक्त बनाता है। शरीर को बलवान व
मोटा बनाता है। दूध में 2 छुहारे उबालकर खाने से मांस, बल और
वीर्य बढ़ता है। बच्चे के लिए छुहारा दूध में भिगो देते
हैं। जब दूध में रखा हुआ छुहारा फूल जाता है तो इसे छानकर,
पीसकर बच्चों को पिलाना चाहिए।
छुहारा को दूध में उबालकर खाने से खून बनता है और
शरीर में बल देता है।
92. केला :
रोजाना 2 केले दूध के साथ सुबह नियमित रूप से खाने से लाभ
होता है।
2 केले खाकर ऊपर से 250 मिलीलीटर
गर्म दूध 90 दिनों तक लगातार पीने से कमजोर
व्यक्ति मोटे होने लगते हैं।
93. अनार : अनार को खाने से खून साफ होता है और खून
का संचार बढ़ता है तथा शरीर मोटा हो जाता है।
94. नारियल : नारियल को दिन में 2 बार 50-50 ग्राम
की मात्रा में रोज सेवन करने से शरीर
मोटा होने लगता है।
95. मटर : मटर खाने से खून और मांस बढ़ता है।
96. मूंगफली : मूंगफली कम मात्रा में
रोजाना खाने से चर्बी आने लगती है।
97. घी :
घी और शक्कर मिलाकर कुछ दिनों तक लगातार खाने से
शरीर मोटा हो जाता है।
घी और चीनी मिलाकर खाने से
शरीर मोटा होता जाता है।
98. बादाम : 7 बादाम की गिरी रात को सोने
से पहले पानी में भिगों दें, सुबह उठकर
छिलकों को उतारकर पीस लें, फिर इसमें 30 ग्राम
मक्खन और इच्छानुसार चीनी मिलाकर
डबलरोटी के साथ खाकर ऊपर से 250
मिलीलीटर दूध पियें। इसे लगातार 6
महीने तक करने से शरीर मोटा और दिमाग
(मस्तिष्क) तेज हो जाता है।
99. शहद :
एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर
रोजाना सुबह पीना चाहिए।
शहद को रोज दूध में मिलाकर सेवन करने से मोटापा बढ़ता है।
100. पानी : ताजा जल 4 घण्टे धूप में रखकर
रोजाना बच्चों को एक निश्चित समय पर नहलाने से
बच्चा मोटा होता जाता है। दुबला-पतला होने पर
पानी व पानी से युक्त खाने
की वस्तुएं खानी चाहिए।
101. आलू :
आलू मोटापा नहीं बढ़ाता है। आलू को तलकर
तीखे मसाले घी आदि लगाकर खाने से
जो चिकनाई पेट में जाती है, वह चिकनाई
मोटापा बढ़ाती है। आलू को उबालकर या गर्म रेत
अथवा गर्म राख में भूनकर खाना लाभकारी एवं निरापद
है।
सूखे आलू में 8.5 प्रतिशत प्रोटीन है और सूखे
चावलों में 6-7 प्रतिशत प्रोटीन है। इस प्रकार आलू
में अधिक प्रोटीन पाई जाती है। आलुओं
में मुर्गियों के चूजों जैसी प्रोटीन
होती है। बड़ी आयु वालों के लिए
प्रोटीन आवश्यक है। आलुओं
की प्रोटीन बूढ़ों के लिए बहुत
ही शक्ति देने वाली और
वृद्धावस्था की कमजोरी दूर करने
वाली होती है।
102. लसोड़ा : लसोड़े के फलों को सुखाकर उनका चूर्ण बना लें। इस
चूर्ण
को चीनी की चाशनी में
मिलाकर लड्डू बना लें। इसको खाने से शरीर
मोटा होता है और कमर मजबूत हो जाती है।
103. अनार : अनार रक्तवर्धक है, इससे
त्वचा चिकनी बनती है। रक्त का संचार
बढ़ता है। शरीर को मोटा करती है। अनार
मूर्च्छा में लाभदायक, हृदय बल-कारक और
खांसी नष्ट करने
वाली होती है। इसका शर्बत हृदय
की जलन और बेचैनी, आमाशय
की जलन, मूत्र की जलन,
उलटी, जी मिचलाना,
खट्टी डकारें, हिचकी, घबराहट, प्यास
आदि शिकायतों को दूर करता है। अनार का रस निकालकर
पीने से शरीर
की शक्ति बढ़ती है और रक्त
की वृद्धि होती है।
104. अजमोद : अजमोद की जड़ (मूल) का चूर्ण
डालकर बनी कॉफी के सेवन से
वातनाड़ी (स्नायु)
की कमजोरी मिट जाती है।
नोट : यह प्रयोग मिर्गी के रोगी और
गर्भवती स्त्रियों के लिए हानिकारक है।
106. उड़द :
उड़द में शक्ति को बढ़ाने (शक्तिवर्द्धक) का गुण है। उड़द
को किसी भी तरह से खाने पर
शक्ति बढ़ती है। रात्रि को 30 ग्राम उड़द
की दाल पानी में भिगोकर और सुबह इसे
पीसकर दूध व मिश्री के साथ मिलाकर
पीने से मस्तिष्क व वीर्य के लिए बहुत
ही लाभकारी है।
नोट : इसे अच्छी पाचन शक्ति वाले
ही इस्तेमाल करें। छिलके सहित उड़द खाने से मांस
बढ़ता है। उड़द दाल में हींग का छौंका देने से इसके
गुण में अधिक वृद्धि हो जाती है।
भीगी हुई उड़द दाल
को पीसकर एक चम्मच
देशी घी व आधा चम्मच शहद में मिलाकर
चाटने के बाद मिश्री मिला हुआ दूध
पीना लाभदायक है। इसका प्रयोग लगातार करते रहने
से पुरुष घोड़े की तरह ताकतवर हो जाता है।
उड़द की दाल छिलके सहित खाने से शरीर
मोटा होता है।
उड़द की दाल का लड्डू रोजाना सुबह खाकर ऊपर से
दूध पीने से कमजोरी दूर
होती है।
105. बच (घोरबच) :
आधा ग्राम बच रोजाना सुबह-शाम शहद या दूध के साथ सेवन
करने से दिमागी ताकत (स्मरण शक्ति)
बढ़ती है।
बच, ब्राह्मी और
शंखपुष्पी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर
ब्राह्मी के रस में 3 बार उबालकर, सुखाकर चूर्ण
बनाकर रख लें। इसमें से आधा से 1 ग्राम सुबह-शाम असमान
मात्रा में शहद और घी के साथ सेवन करने से
कमजोरी और स्मरण शक्ति के बढ़ने में लाभ
होता है।
नोट : मात्रा न बढ़ाये नहीं तो सिर दर्द होता है।

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